ग़द्दारों को धिक्कार !











ग़द्दारों को धिक्कार !

शर्मसार देश सिद्धू देशद्रोही पाक साथ।
गर्व कारण नहीं ये पाप सर्वनाश है।
मार डाला सैनिकों को हो रही विकल माएँ,
ऐसे ग़द्दारों का साथ घृणित प्रयास है ।
भारत में जन्मकर कैसे करे ग़द्दारी ये?
ऐसी सरदारी गले ना उतर पा रही।
आतंकी का देश नहीं जात नहीं कह रहा,
जंगी तलवार म्यान क्यों ना छोड़ पा रही।
शीश काट दफ़्न कर पाकिस्तानी धरती पे,
ये हमारा ख़ून नहीं देशद्रोही रक्त है।
ग़द्दारों की भीड़ राजनीति लाभ लेने हित,
पीछे पड़ी नमो के जो वीर देशभक्त है।
जनता जगाएँ मिल अलख भगाएँ।
देशद्रोही सीमापार करें सब तैयार हों।
अय्यर सरीखे देशद्रोही सिद्धू जैसे,
दुश्मनों को निपटाने हेतु क्रूर हथियार हों।
चालीस के बदले हो चार सौ प्रतिशोध।
हाथ धर बैठने से कहॉ होने पाएगा?
सेना को स्वतंत्र कर सुरक्षित यत्न कर,
पिंडी और लाहौर में तिरंगा लहराएगा।
जनता का साथ नमो दिव्य हो प्रयास,
सहनशीलता ना कायरता सिद्ध होनी चाहिए।
पाक की नापाक धरती को धन्य करने हित,
एक-दो मिसाइल गिरा ही देना चाहिए।
मिट जाए पाक हो आतंकवाद साफ़,
शांति-चैन-भाई-चारा बढ़े प्रेम का प्रकाश हो।
सेना हो सशक्त हो अखंड भारत हमारा,
क्रांतिकारियों की पूर्ण एक-एक आस हो।
प्रार्थना है करता पुनीत क्रांतिकारी
जाग जाओ मंत्र अब तो हमारा उन्वान हो।
सीमा पे खड़ा हुआ वो त्याग की जो प्रतिपूर्ति,
एक-एक नागरिक देश का जवान हो।
एक-एक नागरिक देश का जवान हो॥
डॉ. पुनीत द्विवेदी “क्रांतिकारी”
इंदौर।

Post a Comment

0 Comments