भारत में कंप्यूटर का इतिहास और राजीव गाँधी की असलियत - Indian History Blog I Vishwa Guru Bharat

क्या ये सत्य है:-
राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तो एक बार रोते-रोते अमेरिका पहुँच गये ! एक तो हमारे देश मे भिखारियों की बहुत बड़ी समस्या है ! देश का प्रधानमंत्री भी भिख मंग्गे की तरह ही बात करता है!

कटोरा लेकर राजीव गांधी पहुँच गये अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के पास! और कहने लगे हमे सुपर कम्पुटर दे दो ! इस देश के वैज्ञानिको ने बहुत समझाया था की मत जाइए बेइज्जती हो जाएगी लेकिन नहीं माने क्योंकि उनको धुन स्वार थी की हिंदुस्तान को 21 वीं सदी मे लेकर जाना है जैसे राजीव गांधी के चाहने पर ही देश 21 वीं सदी मे जाएगा अपने आप नहीं जाएगा ! तो रोनाल्ड रीगन ने कहा हमने सोचा है ना तो हम आपको सुपर कम्पुटर देंगे और न ही क्रायोजेनिक इंजन देंगे ! जबकि अमेरिका की कंपनी IBM के मन मे था की भारत सरकार से कुछ समझोता हो जाए और उसका सुपर कम्पुटर भारत मे बिक जाए ! लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने साफ माना कर दिया की ये संभव नहीं है ! ना तो बनाने के technology देंगे और ना ही बना बनाया सुपर कम्पुटर देंगे !! तो बेचारे मुह लटकाये राजीव गांधी भारत वापिस लौट आए और जो वाशिंगटन मे बेइज्जती हुई वो अलग !!
कांग्रेस वर्षों से देशवासियों को गलत तथ्यों से अवगत कराती आई है और देशवासी बिना किसी मौलिक जानकारी के अभाव में इसे सत्य मानते आए हैं। वैसे इसमें बहुत से लोगों को कोई गलती दिखती भी नहीं है क्योंकि कांग्रेस की देशवासियों को बेवकूफ बनाने की फितरत शुरू से रही है। एक ऐसा ही दावा कांग्रेस करती है देश में कम्प्यूटर को लाने का।
सारे कांग्रेसी यह डींगे मारते नहीं अघाते हैं कि देश में कम्प्यूटर लाने वाले राजीव गांधी थे। इस दावे को अक्षरश: सच मान कर तमाम कृतज्ञ देशवासी नतमस्तक भी होते रहते हैं और आगे भी होते रहेंगे। पर इस दावे में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।
राजीव गांधी और कम्प्यूटर के बारे में दावा इतनी छाती ठोंक - ठोंक कर किया जाता है मानों राजीव गांधी न होते तो आज भी हम पोथी और स्लेट के युग में बैठ कर कलमें घिस रहे होते।
अब समय आ गया है कि हम इस दावें की असलियत जानें। कांग्रेसी ऐसे बोल बोलते हैं जैसे राजीव गांधी के 1984 में सत्ता संभालने के पहले भारत कम्प्यूटर नामक चिड़िया की ABC भी नहीं जानता था।
दावा ये किया जाता है राजीव गांधी ने देश को पहली बार कम्प्यूटर से परिचित कराया था। वास्तव में इसका श्रेय देश की कुछ उन निजी कम्पनियों को दिया जाना चाहिए, जिनकी कम्प्यूटर को भारत में लाने तथा उसे लोकप्रिय बनाने की जिजीविषा को कभी वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी वे हकदार थीं।
देश में सबसे पहले स्वदेशी तकनीक से कम्प्यूटर को विकसित करने का श्रेय DCM Datasystems को दिया जाता है, जिसने 1972 में भारत में अपने कम्प्यूटर आधारित उत्पाद भारत में उतारे थे। इस कम्पनी ने अपने कदम बढ़ाते हुए तुरंत साफ्टवेयर के क्षेत्र में भी कदम रखे। याद रखिए कि यह राजीव गांधी के सत्ता संभालने के 12 वर्ष पहले की बात है।
हालांकि उससे 4 साल पहले यानि 1968 में स्थापित टाटा कन्सेलेटेन्सी सर्विसेज
(Tata Consultancy Services – TCS) देश में साफ्टवेयर विकसित करने का काम शुरू कर चुकी थी लेकिन उसका काम टाटा स्टील तथा यूटीआई व सैंट्रल बैंक जैसे कुछ प्रतिष्ठानों को पंच कार्ड और डेटा प्रोसेसिंग से सम्बन्धित टूल्स उपल्बध कराना था। बाद में TCS ने 1981 में अपना साफ्टवेयर डेवलपमेण्ट सेंटर पुणे में खोला।
वहीं शिव नदार की HCL 1976 में स्थापित हुई तथा उसने HP (Hewlett Packard) के साथ तालमेल कर भारत में कम्प्यूटर के उत्पादन का काम शुरू किया। भारत की दो दिग्गज आईटी कम्पनी इन्फोसिस (Infosys) और विप्रो (Wipro) 1981 में स्थापित हुई। Infosys का ध्यान जहाँ साफ्टवेयर पर अधिक था वहीं Wipro हार्डवेयर में अधिक रुचि दिखा रही थी। ये दिग्गज कम्पनियां आज भी अपने क्षेत्र में शानदार कार्य कर रही हैं। जहाँ तक भारत सरकार की आईटी के क्षेत्र में पहल की बात है तो उसने कम्प्यूटर मेन्टीनेंस कार्पोरेशन (CMC) नामक एक उपक्रम 1975 में स्थापित किया था तथा इसका मुख्य काम देश में तब स्थापित तमाम IBM कम्प्यूटर्स की मेन्टीनेंस करना था। बाद में इसे पहले अर्द्ध-सरकारी कम्पनी बना दिया गया तथा बाद में TCS को बेच दिया गया।
याद रखिए कि कम्प्यूटर के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण पहल राजीव गांधी के 1984 में पद पर बैठने से बहुत पहले कार्यान्वित हो चुकी थीं।
मूर्ख कांग्रेसी यह दावा भी करते हैं कि भारत में सरकारी दफ्तरों में कम्प्यूटर लगा कर उसे लोकप्रिय बनाने का काम राजीव गांधी ने किया। तो इस का सीधा सा उत्तर है कि वह समय था जब देश में कम्प्यूटर को लगाना अवश्यम्भावी था। आज दुनिया का पिछड़े से पिछड़े देश में सारा काम कम्प्यूटर के माध्यम से हो रहा है, तो क्या वहां भी राजीव गांधी जैसे किसी कम्प्यूटर भागीरथ ने पहाड़ों से लाकर देश में कम्प्यूटर प्रतिस्थापित किया था।
मुख्य तथ्य तो यह है कि तकनीक को ओढ़ने और प्रयुक्त करने का समय जब जब होता है तब तब ये अ
ना रास्ता स्वयं खोजती हैं। विश्व में आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जहाँ आईटी तकनीक का प्रयोग छोटे से छोटे से काम में नहीं किया जाता हो। और जहाँ तक भारत के साफ्टवेयर हब बनने की यशोगाथा की बात है तो इसमें टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, जैसी कम्पनियों की मुख्य भूमिका थी न कि कांग्रेस सरकार की, जो बड़ी बेशर्मी से श्रेय लेने की कोशिश करती है।
और यदि राजीव गांधी वास्तव में देश में कम्प्यूटर लाए थे, तो मुझे विश्व के किसी भी उस देश का नाम बता दीजिए जहाँ राजीव गांधी जैसे नेता के अभाव में कम्प्यूटर तकनीक वर्ष 2000 तक न पहुंची हो?

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