योग दर्शन - द्वितीय I Vishwa Guru Bharat - Hindi Sahitya


हेय हेतु का अर्थ है दुःख का कारण जीवात्मा का बुद्धि एव समस्त प्राकृतिक पदार्थो के साथ जो अज्ञान पूर्वक सम्बन्ध है वह हेय हेतु  कहलाता है।
हान - तदभावत्संयोगाभावो हान मद्दृशेः कैवल्यम् (यो 2/25)
उस अविद्यादि क्लेशों का अभाव होने पर द्रष्टा (जीवात्मा) औ दृश्य (प्रकृति) के संयोग का अभाव हो जाता हैै। वह हान है, वही जीवात्मा का कैवल्य है।
हानोपाय- विवेकख्याति रविप्लवा हानोपायः योग 2/26
    जब व्यक्ति को वैराग्य होता है तब उसका ज्ञान बढ़ता रहता है परन्तु लौकिक संस्कारों के कारण सम्प्रज्ञात समाधि मध्य मध्य में भंग होती रहती है। यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि ईश्वर साक्षात्कार होते ही योगी मोक्ष का भागी नहीं होता। मोक्ष का अधिकारी बनने के लिए दीर्घ कापर्य अभ्यास की उपेक्षा रहती हैै। तथा यम-नियमों के पालन से ईश्वर प्रणि धानादि साधनों से अविप्लव अवस्था में ले जाना तथा मिथ्या ज्ञान की निवृत्ति और पर वैराग्य की उत्पत्ति होती है। पर वैराग्य से असम्प्रज्ञात समाधि की सिद्धि और ईश्वर साक्षात्कार होता है। यह सब अभ्यास और वैराग्य के द्वारा निरोध किया जाता है। अभ्यास वैराग्यभ्यां तन्निरोधः यो 1/12 अभ्यास और वैराग्य से ही उसका निरोध हो सकता है। निरोध का अर्थ है प्रवाह को बदलना। यहां अनेक साधक भ्रमवश निरोध से रोकना अर्थ लेते है। जबकि चित्त को रोका नहीं जा सकता है। रोकने से तो दोगुनी और शक्ति से आक्रमण करता है। चित्तरूपी नही दो ओर बहने वाली है। एक कल्याण के लिए विवेक वैराग्य की ओर बहती है। और दूसरी पाप के लिए अज्ञान अविद्या एवं भोगों की ओर बहती है। कारण यह होता है कि अविधा भोगों वाले प्रवाह को विवेक व वैराग्य के बांध से रोककर कल्याण मार्ग की ओर प्रवाह को बदल देते है। परन्तु हठपूर्वक बलात्इन्द्रियों को रोकन वाले का तो वैसा ही हाल होगा जैसे नदी के प्रवाह को रोह देवें पर जल को किसी दूसरी और प्रवाहित न करें।
    कालान्तर में जल उस बांध को तोडकर और भयंकर रूप में प्रवाहित होगा जो बाढ के समान विनाशकारी होगा निरोध का ऐसा अर्थ मानने वाले और गहरे गड्डे में जाते है । अत एवं निरोध का अर्थ हुआ ज्ञानपूर्वक विद्या पूर्वक प्रवाह को बदलना। अब सम्पूर्ण विवेचन से योग का मुख्य प्रयोजन सांसारिक दुःखों से छुटना है। जिसको विस्तार से कह दिया।
    ब्र0 ज्ञान प्रकाशार्यः
    आर्ष महाविद्यालय गुरूकुल कालवा
    जिला जीन्द (हरियाणा)

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